मनोरोगी और उसकी हरकतें....
युगपुरुष के होंठ थरथराए, उनके मुँह से “साले” शब्द निकलने ही वाला था परन्तु बेटे ने माहौल को भाँपते हुए तत्काल यू-टर्न लिया और अपने कमरे में निकल गया. किचन के दरवाजे से सुनीता भाभी ने मन ही मन शान्ति की साँस लेते हुए कहा, “कितना गुणी बच्चा है, बिलकुल अपने बाप पर गया है..”.इस बीच युगपुरुष पानी का गिलास गटागट खत्म कर चुके थे, और उन्हें अचानक अपने आमरण अनशन की याद आ गई. रालेगन सिद्धि के (अ)सिद्ध पुरुष से आशीर्वचन लेने के लिए उन्होंने अपनी जेब से मोबाईल निकाला तो उधर से सनातन धीमे सुरों में कोमल आवाज़ आई, “मय तुमको बोला था. बाबा, ये राजनीति अपना काम नही हय, पर तेरे को नई समझा. ग्लायकोडीन के नशे में कुच भी ट्वीट कर बैठता हय..सार्वजनिक जीवन मे अपनी ईमानदारी पर इतराने वाले आदमी को ऐसे अपशब्द नही वापरने चाहिये बाबा...”. युगपुरुष चिढ़ गए, उन्होंने फोन कट कर दिया.
सुनीता भाभी अभी भी किचन के दरवाजे से माहौल भाँपने की कोशिश कर रही थीं. उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि आज क्या हो गया है, राजा हरिश्चंद्र की “बॉडी लैंग्वेज” उनकी अस्वस्थता दर्शा रही थी. पहले की बात और थी, जब भी युगपुरुष का मूड ऑफ होता था, उनके घर पहुँचने से पहले ही देवर सलीम SMS पर सावधान कर देते थे, लेकिन आजकल वे भी दूर हो गए हैं. सुनीता भाभी ने व्हाट्स एप्प मैसेज चेक किया तो देखा कि देवर सलीम उर्फ योगेन्द्र ने तीन हँसने वाली स्माईली और एक बैंगनी रंग के सींगों वाले राक्षस की स्माईली भेजी है. उन्होंने तड़ से सलीम को ब्लॉक मार दिया.मोबाईल पर स्क्रोल किया, तो विश्वास भाई का एक शेर दिखा.
“सीबीआय की रेड हो गयी तो मचल बैठा हंगामा
हमारे बिल में कोई गर घुस गया तो हंगामा
वो थप्पड़ थी बहुत अच्छी, मगर ये रेड बुरा सपना
न जाने और कोई है, पर मोदी पे ये हंगामा”
हमारे बिल में कोई गर घुस गया तो हंगामा
वो थप्पड़ थी बहुत अच्छी, मगर ये रेड बुरा सपना
न जाने और कोई है, पर मोदी पे ये हंगामा”
“कुछ भी ऊटपटांग शेर और तुकबंदी लिखते रहते हैं” यह सोचकर सुनीता भाभी ने विश्वास देवरजी को इग्नोर किया और स्क्रीन को नीचे स्क्रोल किया. देखा तो देवर आशुतोष का स्टेटस “Typing” दिखा रहा था. दो घंटे पहले ही तो इस पगले आशुतोष ने फोन करके पूछा था कि “भाभी, दिल्ली में सायको “पाथ” किस एरिया में पड़ता है?”भाभी ने आगे स्क्रोल किया, देखा तो बाबा रामदेव का भी मैसेज था, लिखा था... “बेटा जिंदगी में ऐसा होता रहता है, केजू को बोलना अनुलोम विलोम चालू रखे..” और एक आँख मारते हुए स्माईली भी लगी हुई थी.सुनीता भाभी ने गहन श्वास लेकर मन ही मन मान लिया कि अनुलोम हो गया है, और आगे देखा तो देवर सिसोदिया का भी मैसेज था. अब सुनीता भाभी को चैन आया. सिसोदिया जी ने लिखा था, “भाभी, जल्दी से टीवी चालू करो, टीवी पर युगपुरुष के आज के महान कारनामे के चर्चे हैं. वे आनंदित हुईं और तेजी से ड्राइंगरूम में पहुँचकर टीवी ऑन किया. टीवी देखते ही युगपुरुष का खून खौल उठा, टीवी पर थे “स्पेशल छब्बीस” फिल्म आ रही थी. उन्होंने पत्नी के हाथ से मोबाईल खींचकर न्यूज़ चैनल लगा दिया और अपनी वीर रस वाली मुठ्ठी ताने छवि को देखकर उन्हें अपने आंदोलनकारी दिन याद आ गए. सोमनाथ भारती के दी हुई पायरेटेड डीवीडी का निश्चित फायदा हुआ है, वैसे भी उन्हें IIT के जमाने से ही नाटक-नौटंकी का शौक रहा था. उन्हें संतोष हुआ कि जो काम वे उस समय ठीक से नहीं कर सके थे, अब पूरी तरह निभा रहे हैं.
लेकिन लोगों को उनका सुख देखा कहाँ जाता?? इतने में फोन की घंटी बजी... उस तरफ से सोनिया मैडम जी बोल रही थीं... – “ख्या, खेज्रिवाल जी, आपने हमारा स्क्रिप्ट चुरा लिया, हामने जो चार डीन पहले बोला, वोही आपने आज रिपीट किया??”
युगपुरुष चीखे, - “खबरदार, हम ओरिजिनल हैं जी, हमारे पास सर्टिफिकेट भी है और उसके नीचे मेरे दस्तखत भी हैं.”
मैडम बोलीं, - “काल आपने मेरे राहुल को बाच्चा बोला, लेकिन आज तो आपका ही खाटजू हो गया” (उधर से इटालियन भाषा में हँसी की आवाज़ आई)... याद राखना खेज्रिवाल जी, भागवान के घार ढेर हाय आंढेर नाही, याद राखना हाम इंडिराजी का बाहू हाय”.
अब युगपुरुष की बारी थी, वे बोले “रहने दीजिए मैडम जी आप से तो मोदी का पुतला तक ठीक से नहीं संभलता”. (उधर से इटालियन भाषा की कुछ गालियाँ सुनाई दीं और फोन पटक दिया गया). उस गहन चिढात्मक मानसिकता में भी युगपुरुष को लगान फिल्म का संवाद याद आ गया, “थुम हमको डुगना लगान डेगी”... वे दीवार की तरफ देखकर मुस्कुराने लगे. यह ठीक माहौल देखकर सुनीता भाभी को अच्छा लगा.
उन्होंने किचन में जाकर फिर अपना मोबाईल खोला... आशुतोष देवरजी का स्टेटस अभी भी “Typing” ही आ रहा था. और नीचे स्क्रोल किया, तो देखा कि "आज तक"वाले वाजपेयी ने चार अँगूठे दिखाते हुए “बहुत क्रान्तिकारी, बहुत ही क्रान्तिकारी” लिखा था, उन्हें कुछ समझ नहीं आया. उन्होंने मोबाईल रख दिया और बेडरूम की तरफ चल दीं. युगपुरुष भी ग्लायकोडीन का तगड़ा डोज़ लेकर गहरे नशे में पहुँच चुके थे.आखिरकार आशुतोष देवरजी का मैसेज स्क्रीन पर चमका, उन्होंने लिखा था “भाभी, भाभी.. मुझे सायकोपाथ शब्द का अर्थ मिल गया, मैंने गूगल से खोज निकाला, ये देखिये... “A person suffering from chronic mental disorder with abnormal or violent social behavior.”. अब चिढ़ने की बारी सुनीता भाभी की थी. उन्होंने सोचा कि अच्छा हुआ यह मैसेज मेरे युगपुरुष ने नहीं पढ़ा, वर्ना उन्हें लगता कि आशुतोष भी प्रशांत भूषण से जा मिला है और गूगल से खोजकर उन्हीं को चिढ़ा रहा है...थककर सुनीता भाभी ने मोबाईल साईलेंट पर कर दिया.
समूची दिल्ली कोहरे के आगोश में जा चुकी थी. हिमालय की ठण्डी हवा झेलते हुए दिल्ली की इमारतें आम आदमी को लेकर सोने जा चुकी थीं. संसद भी कल पुनः ठप्प होने के लिए सो गई थी. इधर युगपुरुष भी जोरदार खर्राटे भरने लगे थे.
मूल मराठी लेखक :- © चिराग पत्की.
(हिन्दी अनुवाद - सुरेश चिपलूनकर)