वेटिकन द्वारा रेपिस्ट पादरी की भारत में नियुक्ति
पिछले कुछ वर्षों में चर्च के पादरियों द्वारा बाल यौन शोषण की घटनाएँ पश्चिम में अत्यधिक मात्रा में बढ़ गई हैं. समूचा वेटिकन प्रशासन एवं स्वयं पोप पादरियों की इस “मानसिक समस्या” से बहुत त्रस्त हैं. पोप फ्रांसिस और इससे पहले वाले पोप ने भी मीडिया के सामने खुद स्वीकार किया है कि पादरियों में बाल यौन शोषण की “बीमारी” एक महामारी बन चुकी है.पश्चिमी देशों में मुक्त यौन व्यवहार एवं खुले समाज के कारण इस प्रकार की घटनाएँ जल्द ही सामने भी आ जाती हैं, इसीलिए सन 2001 से 2014 के बीच वेटिकन ने अपने पादरियों के गुनाह छिपाने के लिए न्यायालय से बाहर “सहमति से समझौते” के तहत लाखों डॉलर मुआवजे के रूप में बाँटे हैं.
दूसरी तरफ भारत एक सांस्कृतिक समाज है, जहाँ यौन स्वच्छंदता कतई आम बात नहीं है. यहाँ पर लड़कियाँ अक्सर पीछे रहती हैं, और जब मामला यौन शोषण अथवा बलात्कार का हो, तो उस लड़की पर समाज और परिवार का इतना जबरदस्त दबाव होता है कि वह खुलकर अपने अत्याचारी के खिलाफ सामने आ ही नहीं पाती. एक सर्वे के अनुसार बलात्कार एवं यौन शोषण के 92% मामले वहीं दबा दिए जाते हैं, जबकि बचे हुए 8% में भी सजा होने का प्रतिशत बहुत कम है, क्योंकि जागरूकता की कमी है. भारत के ऐसे माहौल में वेटिकन के उच्चाधिकारी एक बलात्कारी पादरी को भारत में नियुक्त कर रहे हैं.
जी हाँ, चौंकिए नहीं... रेव्हरेंड जोसफ जेयापौल नामक पादरी की नियुक्ति जल्द ही भारत के किसी चर्च में की जाने वाली है.रेवरेंड जेयापौल 2011 तक अमेरिका के मिनेसोटा प्रांत में डायोसीज ऑफ क्रुक्सटन में पादरी था, जहाँ इसने मीगन पीटरसन नाम की चौदह वर्षीय लड़की के साथ लगातार एक वर्ष तक बलात्कार और यौन शोषण किया.कोर्ट में खुद पीटरसन के लिखित बयान के अनुसार, “मैं फादर जेयापौल से सबसे पहली बार 2004 में मिली, जब उनका ट्रांसफर कनाडा की सीमा पर स्थित मिनेसोटा प्रांत के एक गाँव ग्रीनबुश में ब्लेस्ड सेक्रामेन्टो चर्च में हुआ. मैं बचपन से ही बहुत ही धार्मिक लड़की थी, और रोज़ाना चर्च जाती थी. मेरा सपना था कि मैं नन बनूँ. पहली ही भेंट में फादर जेयापौल ने मुझे धार्मिक किताबें देने के बहाने अपने निजी कमरे में बुलाया. मैं छोटी थी, इसलिए उसकी नीयत नहीं भाँप सकी. लेकिन उसने मुझे बहला-फुसलाकर मुझे “पापी” होने का अहसास दिलाया और पापों से मुक्त करने के बदले उसने लगातार एक वर्ष तक उस चर्च में यौन शोषण किया. मुझे जान से मारने और पीटने की धमकी देकर उसने मुझे बहुत डरा दिया था, इसलिए मैं किसी के सामने मुँह खोलने से घबराती थी. लेकिन जब यह सिलसिला लगातार चलता रहा और मैं थोड़ी बड़ी हुई, तब मुझमे हिम्मत जागी और मैंने अपने परिवार वालों को इसके बारे में बताया”.
जब पीटरसन के परिवार वालों ने वेटिकन में शिकायत की तो पहले अधिकारियों द्वारा लीपापोती की कोशिशें की गईं, लेकिन जब परिवार ने सीधे पोप फ्रांसिस से संपर्क किया तब जाकर काफी टालमटोल के बाद 2010 में रेवरेंड जोसफ जेयापौल को चर्च से निलंबित (सिर्फ निलंबित) किया गया. पीटरसन के परिजनों ने वेटिकन पर मुकदमा दायर कर दिया और 2011 में पादरी की सजा कम करने के समझौते के तहत कोर्ट के बाहर आपसी सहमति से सात लाख पचास हजार डॉलर का मुआवज़ा वसूल किया.सजा सुनते ही यह पादरी भारत भाग निकला, लेकिन 2012 में इंटरपोल ने इसे पकड़कर पुनः अमेरिकी पुलिस के हवाले कर दिया. दो वर्ष की जेल काटने के बाद रेवरेंड जोसफ रिहा हो गया और वेटिकन ने इसे पुनः चर्च की सेवाओं में शामिल कर लिया.
ताज़ा खबर यह है कि फरवरी 2016 में जब इस बहादुर लड़की पीटरसन को यह पता चला कि फादर जोसफ जेयापौल को एक नए असाइनमेंट के तहत विशेष नियुक्ति देकर भारत के किसी चर्च में भेजा जा रहा है, तब इसे और इसके परिवार को तगड़ा झटका लगा. पीटरसन कहती हैं, कि “यह बेहद अपमानजनक निर्णय है, वेटिकन कैसे एक बलात्कारी को पुनः किसी चर्च में नियुक्त कर सकता है? भारत जाकर यह आदमी पता नहीं कितनी लड़कियों का जीवन खराब करेगा, जहाँ वे इसके खिलाफ खुलकर सामने भी नहीं आ सकेंगी”अब इसने पुनः वेटिकन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. फिलहाल पादरी जेयापौल 61 वर्ष का है, और पीटरसन द्वारा इस मामले में पुनः आवाज़ उठाने के कारण भारत भेजने का फैसला कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया गया है, लेकिन यह स्थिति कब तक रहेगी कहा नहीं जा सकता. हो सकता है निकट भविष्य में दिल्ली अथवा तमिलनाडु के किसी चर्च में रेवरेंड जोसफ जेयापौल को बिशप नियुक्त कर दिया जाए...
बड़ा सवाल यह है कि क्या भारत के “प्रगतिशील”(??) महिला संगठन वेटिकन के इस निर्णय के खिलाफ अपना मुँह खोलेंगे?? भारत के वामपंथी और सेकुलर बुद्धिजीवी, जेल काट चुके इस बाल यौन अपराधी को भारत में पादरी बनाने का विरोध करेंगे??या फिर इनकी सारी बौद्धिक तोपें सिर्फ हिन्दू संतों के विरोध हेतु आरक्षित हैं??