फेसबुक की कुछ महत्वपूर्ण पोस्ट को ब्लॉग पर रखने का प्रयोग...
मेरे प्रिय पाठकों व मित्रों...
क्षमा चाहूंगा,व्यवसाय की व्यस्तताओं के कारण बहुत दिनों से कोई विस्तृत पोस्ट नहीं लिख सका...
हालांकि इस बीच सदा की तरह फेसबुक पर अत्यधिक सक्रिय रहा, इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि फेसबुक पर अधिक लंबी पोस्ट नहीं लिखनी पड़तीं और त्वरित प्रतिक्रिया और लाइक्स मिल जाते हैं और ब्लॉग के मुकाबले अपनी बात अधिकाधिक लोगों तक पहुंचाने में मदद होती है.
कुछ पाठकों का सुझाव है कि मैं अपनी फेसबुक की कुछ महत्वपूर्ण पोस्ट को इस ब्लॉग पर भी कॉपी-पेस्ट कर दिया करूँ, ताकि वह सदा रिकार्ड में रहे, क्योंकि फेसबुक पर पुरानी पोस्ट की "आयु" बहुत लंबी नहीं होती. अतः अब बीच-बीच में इस सुझाव पर भी अमल करने का प्रयास करूँगा.
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१ जनवरी २०१३ की पोस्ट -
- इसाई "नववर्ष"(?) के आगमन पर पटाखों का शोर भी वैसा ही था जैसा पिछले साल था...
- दारू की दुकानों पर लम्बी कतारें भी वैसी ही थी...
- सड़कों पर चिल्लाते और मंडराते "यो-यो" कूल ड्यूड्स भी उतनी ही संख्या में थे...
"दामिनी" केस का कहीं-कहीं "थोड़ा सा असर" तो दिखा, लेकिन कोई "विशेष असर" मुझे तो नज़र नहीं आया...
हाँ, इतना अवश्य है कि इस बहाने कुछ "सफेदपोशों" और "पाखंडियों" ने अपनीझांकी जमा ली...
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१ जनवरी २०१३ की ही एक अन्य फेसबुक पोस्ट...
जिस तरह से "छिछोरे" हनी सिंह को ३१ दिसंबर का कार्य्रकम रोकने पर मजबूर किया गया है और अब अदालतों में उसकी नाक रगड़ने की तैयारी चल रही है, मैं इस पहल का हार्दिक स्वागत करता हूँ....
ऐसे घटिया लोगों की लगातार बढ़ती "खरपतवार" के मद्देनज़र वास्तव में अब एक ऐसा देशव्यापी संगठन बनाने की आवश्यकता हो गई है, जो इन पर नकेल कस सके... इस संगठन में वरिष्ठ वकील, RTI कार्यकर्ता और सामाजिक संगठन मिलजुलकर काम करें... और जहाँ मौका मिले इन "भौंडे" और "अश्लील" लोगों को "कानूनी सबक" सिखाएं...
ऐसे घटिया लोगों की लगातार बढ़ती "खरपतवार" के मद्देनज़र वास्तव में अब एक ऐसा देशव्यापी संगठन बनाने की आवश्यकता हो गई है, जो इन पर नकेल कस सके... इस संगठन में वरिष्ठ वकील, RTI कार्यकर्ता और सामाजिक संगठन मिलजुलकर काम करें... और जहाँ मौका मिले इन "भौंडे" और "अश्लील" लोगों को "कानूनी सबक" सिखाएं...
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३ जनवरी २०१३ की फेसबुक पोस्ट...
पीडिता के नाम पर रेप विरोधी नए क़ानून की मांग से कांग्रेस सहमत नहीं है, इसके दो प्रमुख कारण हैं -
१) आज से २०-२५-५० साल बाद तक भी जब इस क़ानून के तहत किसी को सजा होगी तो तत्काल लोगों के दिमाग में "सिंघवी कांग्रेस", "तिवारी कांग्रेस", "कांडाकांग्रेस" जैसे नाम हथौड़े की तरह बजेंगे...
२) इससे भी अधिक महत्वपूर्ण कारण यह है कि किसी महत्वपूर्ण योजना या संस्था का नाम, "पवित्र परिवार"(?) के अलावा किसी और के नाम इतनी आसानी से कैसे रखा जा सकता है???
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४ जनवरी २०१३ की फेसबुक पोस्ट...
मोहन भागवत जी के बयान पर "नीरा राडीया" के दल्लों द्वारा मचाए जा रहे हंगामे से अधिक चिंतित, क्रुद्ध या निराश होने की आवश्यकता नहीं है...
असल में यह एक युद्ध है, तथाकथित "मुख्यधारा"(?) के मीडिया के Frustration और सोशल मीडिया के Enthusiasm के बीच... और "खाज्दीप" व "बुरका" के दुर्भाग्य से हम जैसे मामूली "इंटरनेट हिन्दुओं" के असंगठित, लेकिन निस्वार्थ उत्साह की वजह से उन्हें आजकल अक्सर मुंह की खानी पड़ रही है... :) :)
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४ जनवरी २०१३ की ही एक अन्य पोस्ट...
मीडिया का - Frustration, खुन्नस, घटियापन, बिकाऊ प्रवृत्ति... सब की सब एक साथ दिखाई दी आज तो...
क्या आपने ओवैसी के बयान, सिंघवी के वीडियो, मियाँदाद के वीजा इत्यादि पर कभी इतनी "छातीकूट" देखी है, जितनी भागवत जी के बयान पर देखी???
............. ज़ाहिर है कि ऊँचा उठने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन नीचे गिरने की न तो कोई सीमा है और न ही इसमें कोई मेहनत लगती है...
मीडिया के ऐसे ही हिन्दू विरोधी, संघ विरोधी, भाजपा विरोधी नीच कर्मों की वजह से हमारा मनोबल और मजबूत होता है, हम इन घटिया लोगों को सोशल मीडिया पर बेनकाब करने हेतु और कमर कस लेते हैं...
पिछले ३ वर्षों की मेहनत से हम फेसबुकियों ने, मीडिया की जो "छवि"(?) बना दी है, इसे सतत ऐसे ही जारी रखना है... क्योंकि मुख्यधारा का मीडिया, वास्तव में "हिंदूवादी सोशल मीडिया" का दोस्त या हमराज़ नहीं है, बल्कि "दुश्मन" है...
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कई पाठक फेसबुक पर जाते ही नहीं हैं जबकि कई पाठक अपनी व्यस्तता की वजह से फेसबुक की मेरी सभी पोस्ट नहीं पढ़ पाते हैं... इसलिए यदि मित्रों को पसंद आया हो तो यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा...