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Channel: महाजाल पर सुरेश चिपलूनकर (Suresh Chiplunkar)
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Language Distortion due to Mobile and PC

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मोबाईल, इंटरनेट के कारण भाषा और व्याकरण विकृत हो रहे हैं... 


आजकल तकनीक का ज़माना है. हर व्यक्ति के हाथ में मोबाईल है, स्मार्टफोन है, लैपटॉप है, इंटरनेट है. इन आधुनिक उपकरणों के कारण संवाद और सम्प्रेषण की गति बहुत तेज हो गई है. पलक झपकते कोई भी सन्देश दुनिया के दुसरे छोर पर पहुँच जाता है. लेकिन यह स्पष्ट रूप से देखने में आ रहा है कि मोबाईल अथवा स्मार्टफोन के जरिये भेजे जाने वाले संदेशों में भाषा और व्याकरण की गंभीर त्रुटियाँ हो रही हैं. इस कारण न सिर्फ हिन्दी, बल्कि अंगरेजी भाषा भी भ्रष्ट और विकृत हो रही है. इस बीमारी का प्रमुख कारण है “जल्दबाजी और अधूरा ज्ञान”. 




आधुनिक नई पीढ़ी हर बात जल्दी और त्वरित गति से चाहती है. उसे हर बात की जल्दी है, इसीलिए मोबाईल पर सन्देश टाईप करते समय भी उसे जल्दबाजी लगी रहती है. उसे यह ध्यान नहीं रहता की वह क्या टाईप कर रहा है, कैसे टाईप कर रहा है, किस भाषा में टाईप कर रहा है, कौन से शब्द उपयोग कर रहा है. सन्देश भेजने की जल्दी में वह How Are You? को भी h r u? टाईप कर रहा है. क्या ऐसा करने से वाकई में समय बच रहा है? नहीं. दस सेकण्ड का समय बचाकर अपनी भाषा भ्रष्ट करना उचित नहीं कहा जा सकता. Why को “Y”, Happy Birthday को HBD, यहाँ तक की Girls को भी Gals बना दिया गया है. यह हालत तो तब है, जबकि प्रत्येक स्मार्टफोन में टाईप करते समय Auto-Correction का विकल्प भी होता है. मोबाईल का एप्प ही आपको सुझाता है की Wat की बजाय What लिखना चाहिए, या goin की बजाय Going लिखें, परन्तु “तेज गति वाली पीढ़ी” के बच्चे उसकी ओर भी ध्यान नहीं देते और अपनी मनमर्जी से कुछ भी ऊटपटांग टाईप करती चली जाती है.... ऐसा करने से भले ही आधे या एक मिनट का समय बच रहा हो, लेकिन इसके दूरगामी परिणाम बहुत खतरनाक होते हैं, क्योंकि धीरे-धीरे एक समय ऐसा आता है जब व्यक्ति को ऐसा विकृत और गलत लिखने की आदत पड़ जाती है.दिमाग में उन शब्दों का एक निश्चित चित्र बन जाता है और व्यक्ति हमेशा वैसा ही गलत टाईप करने लगता है. यह तो हुई अंगरेजी की बात. यही हालत हिन्दी की भी है. वैसे तो नई पीढ़ी में से अधिकांश बच्चे मोबाईल या पीसी पर हिन्दी में टाईप नहीं कर पाते, लेकिन जो भी कर पाते हैं वे अपने आधे-अधूरे हिन्दी ज्ञान के कारण सही शब्दों का चयन नहीं कर पाते और अर्थ का अनर्थ कर डालते हैं. कुछ ऐसे भी होते हैं जो हिन्दी शब्दों को रोमन में (अर्थात “मेरे को”, “तेरे को” शब्द Meko, Teko, तथा पड़ा को pada) लिखते हैं, जिससे पढने वाले के सामने उसकी स्थिति और भी हास्यास्पद हो जाती है. यह अधूरे ज्ञान की वजह से होता है. 

आजकल स्कूल के समय एवं पढ़ाई की गतिविधियों के कारण घरों में बच्चों द्वारा अंगरेजी/हिन्दी समाचार पत्र पढ़ना लगभग बंद ही हो गया है. इस कारण भाषा एवं व्याकरण के सही शब्द उन्हें पता ही नहीं चलते. स्कूल में भाषा और व्याकरण की जो पढ़ाई होती है, वह “मेकेनिकल” किस्म की होती है, बच्चा पढता है, रटता है और परीक्षा में जाकर उतार देता है. इसके अलावा भाषा और व्याकरण का सत्यानाश गूगल सर्च ने भी किया है. बच्चे अपने कोर्स के बाहर के किसी विषय पर अपने मन से अंगरेजी या हिन्दी में चार पेज भी नहीं लिख सकते. वे तुरंत गूगल बाबा की शरण में दौड़ लगाते हैं. इससे भाषा और व्याकरण कभी नहीं सुधरेगा. 

सबसे पहले घर में रोज सुबह कम से कम बीस मिनट कोई अंगरेजी या हिन्दी अखबार पढने की आदत डालें, सुबह पढ़े हुए अखबार में से उसी दिन रात को किसी भी विषय पर कम से कम एक पृष्ठ (जिसमें दस-पंद्रह मिनट लगेंगे) अपने दिमाग से लिखने की आदत डालें. सिर्फ इतना भर करने से मोबाईल और इंटरनेट के कारण जो भाषा विकृति आ रही है, उसे दूर किया जा सकता है. 

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