आम आदमी पार्टी और केजरीवाल पर कुछ चुनिन्दा फेसबुक पोस्टें...
भिंडरावाले को खड़ा किया था... नतीजा सामने है
"आप"को खड़ा किया... नतीजा फिर सामने है...
दूसरों के कंधे पर बन्दूक रखकर गढ्ढा खोदोगे... तो यही होगा...
--------------------
8 December 2013
आज दिन भर आप लोगों ने चैनल बदल-बदलकर परिणाम देखे ही होंगे... सच-सच एक बात बताईयेगा मित्रों... कितनी बार आप लोगों ने भगवा झंडे लहराते हुए, भाजपा का झण्डा लहराते हुए, पटाखे फोड़ते हुए भाजपा कार्यकर्ताओं की तस्वीरें या क्लिप्स देखीं, और कितनी बार??? यह भी ध्यान में लाने की कोशिश कीजिए कि इन्हीं चैनलों पर आपने कितनी बार AAP वालों के जश्न, कुमार विश्वास के जयकारे इत्यादि के बारे में देखा??
विभिन्न चैनलों पर मध्यप्रदेश-राजस्थान में "एकतरफा और सुनामीयुक्त"जीत को कमतर करके दिखाने की कोशिश की गई... जहाँ दाँव नहीं चला, वहाँ मोदी-शिवराज के बीच तुलना की गई, चाहे जैसे भी हो मोदी को "अंडर-एस्टीमेट"करके दिखाने के कुत्सित प्रयास भी हुए...
सच में इन वामपन्थी/सेकुलर बुद्धिजीवियों पर कभी-कभी तरस आता है... "भगवा शक्ति"के उभार और सोशल मीडिया की ताकत को नकारना तो खैर इनका शगल है ही, लेकिन दीवार पर लिखी साफ़ इबारत तक नहीं पढ़ सकते ये मूर्ख...
मई २०१४ में हमारा मुकाबला और कड़ा होगा, मित्रों कमर कस लीजिए...
#PaidMediaअपनी पूरी ताकत झोंक देगा...
-------------------
10 December 2013
#AAPक्या कोई इस बात की गारंटी ले सकता है, कि दोबारा चुनाव होने के बाद किसी पार्टी को बहुमत मिल ही जाएगा?? फिर दोबारा चुनाव करवाने की जिद क्यों??
जब काँग्रेस AAP को बिना शर्त (वो भी बाहर से) समर्थन देने को तैयार है, तो यह "भगोड़ा"व्यवहार क्यों??? यदि AAP को खुद के कार्यक्रमों और कार्यशैली पर इतना ही भरोसा है, तो काँग्रेस से समर्थन लो... अगले छह महीने में लोकपाल पास करो, बिजली के बिल ५०% कम करो, रोजाना प्रति परिवार ७०० लीटर पानी दो... यदि कामकाज नहीं जमे (यानी सरकार चलाना नहीं आया, और तुम्हारे मंत्री भ्रष्टाचार में लिप्त न हुए) तो छह माह बाद सरकार भंग करने का विकल्प भी तो AAP के पास है ही...
फिर सत्ता संभालने और जिम्मेदारी उठाने में इतना डर क्यों???
============
10 December 2013
हे महामूर्ख बुद्धिजीवियों, दिल्ली का हश्र देखकर समझ जाईये... कि "आप"लोग जिसे हवा देना चाहते हैं... मई २०१४ में यदि वैसा कोई तीसरा मोर्चा(??) बना (और उसे वोट भी मिले), तो देश के राजनैतिक हालात कितने अनिश्चित और अराजकता भरे हो जाएंगे...
बड़ी मुश्किल से तो 1989 और 1996 के दुर्दिनों को भुला पाया है यह देश... आप लोग फिर से उसे वहीं झोंकना चाहते हो क्या???
================
"सेक्यूलरिज्म"के नाम पर पहले ही देश को बहुत खसोट चुके हो...
अब तो बख्श दो...
------------------------------
NDTV और बाकी मीडिया की इस "जलन"और कजरिया बैंड पार्टी की "तपन"का असली कारण मैं बताता हूँ... -- सिर्फ दो-तीन माह पहले की बात है, विजय गोयल दिल्ली भाजपा के प्रमुख थे, पूरी भाजपा मरणासन्न थी, संगठन मारा हुआ था और खुद भाजपा का लगभग हर कार्यकर्ता मान चुका था कि दिल्ली में भाजपा नहीं आ रही... इसी बात को लेकर "झाडूवाले"भी उत्साहित थे, कि अब उनकी सरकार बनना तय है.
फिर मंच पर पदार्पण होता है नरेंद्र मोदी का... आते ही उन्होंने पहले तो कार्यकर्ताओं में जोश भरा... रोतलू विजय गोयल को हटाकर साफ़-सुथरी छवि वाले डॉ हर्षवर्धन को आगे किया. सिर्फ इतना करने भर से कजरिया की ईमानदारी के ढोल में छेद हो चुका था. इसके बाद उत्साहित कार्यकर्ताओं ने लगातार दो माह तक कड़ी मेहनत की... नतीजा सामने है, दिल्ली ने भाजपा को अधिक सीटें दीं... AAP-मीडिया-काँग्रेस की मिलीभगत का "खेल"बिगाड़ दिया.
===============
कहने का तात्पर्य यह है कि वास्तव में कजरिया ने भाजपा का खेल नहीं बिगाड़ा है, बल्कि मोदी-हर्षवर्धन ने मिलकर "कजरिया बैंड पार्टी के बेसुरे नगाड़े"फाड़ दिए हैं. काँग्रेस जानती थी कि उसके खिलाफ जो गुस्सा है उसे "विचलित और वितरित"करने के लिए AAP नामक जमूरा एकदम फिट है, जिसे लोकसभा चुनाव में भी उपयोग किया जाए, इसलिए उसने केजरीवाल को बड़े आराम से लोगों के बिजली कनेक्शन जोड़ने दिए... अभी आप लोग दिल्ली में जो "कपड़ाफाड़-छातीकूट"प्रोग्राम देख रहे हैं, वह इस खेल के मटियामेट होने की खिसियाहट है...
-------------------------
अब तो कांग्रेस बिना शर्त समर्थन देने को तैयार हो गई है (भाजपा को नहीं दिया, AAP को दिया)... कम से कम अब तो बिल से बाहर निकलो और दिल्लीवासियों के बिजली बिल आधे करो...
- ये कहेंगे :- भाजपा अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है...
"राजा हरिश्चंद्र के एकमात्र और अंतिम अवतार"ने कहा है कि अपनी-अपनी पार्टी में विद्रोह करके हमारे साथ आओ...गंगाजल छिड़क कर आपको पवित्र कर देंगे... (इसे तोड़-फोड़ या जोड़-तोड़ नहीं माना जाएगा, क्योंकि ये पेशकश खुद "स्वयंभू हरिश्चंद्र"ने की है)...
- ये कहेंगे :- भाजपा अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है...
=============
निष्कर्ष :- NGO's गैंग के सरगना की कार्यशैली बड़ी रोचक है... स्वाभाविक है भई, "दल्लात्मक मीडिया"का साथ भी तो खुलकर मिल रहा है...